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Showing posts from 2020

कोरोना संकट में राशन समस्या से लड़ते योद्धा

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बचेगी जिंदगी तो बसेगा आशियाना। कोरोना(COVID-19) संकट में देशव्यापी लॉक्ड डाउन के दौरान आर्थिक कमज़ोर नागरिकों के लिए एक और बड़ी संकट तैयार हो गई है 'भूख'। कई जगहों पे आर्थिक कमज़ोर नागरिकों के घरों के चूल्हे मुश्किल से जल पा रहे है। इसी बीच जगह-जगह हमारे साथी सहायता को आगे आ रहे है। कहीं घरेलू राशन सामग्री, COVID-19 से सावधानी हेतु मास्क तो कही सरकारी सहायता में धांधली रोक के साहयता पूरी मात्रा में जरूरतमंदों तक पहुँचा रहे है अम्बेडकरवादी युवा। संघर्ष के इस घड़ी में देश की निःस्वार्थ सेवा करते इन सभी साथियों को हम सम्मानपूर्वक धन्यवाद करते है। आप हमारे साथियों को आर्थिक मदद करने को स्वतंत्र है जिसका उपयोग जरूरतमंदों तक राहत सहायता पहुँचाने में किया जाएगा। सहायता आप इस पेज के होम पेज और मेनू बार में दी गई बैंक और UPI संबंधी जानकारी की सहायता से अथवा सीधे इन समर्पित साथियों से माध्यम से कर सकते है। हमने इन साथियों के काम करते वक़्त की कुछ तस्वीरें इकट्ठा की है जो इस प्रकार है- सहायता किट तैयार करते हुए मुज़फ़्फ़रपुर के युवा साथी हैदर निज़ामी, राजा जी एवं अन्य साथी।

प्रतापपुर में जल गए दलितों के आशियाने... (07-04-2020)

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जिला मुजफ्फरपुर के मरवण प्रखंड के पंचायत करजा डीह के गांव प्रतापपुर में आगजनी से दलित बस्ती जलकर पूरी तरह राख हो गई। लगभग 60 परिवार है जिनका सबकुछ जल गया।                       घर, कपड़े-पैसे कुछ भी नहीं बचा। ये पीड़ित परिवार अनुसूचित जाति में आतीं है। कई घंटों के मशक्कत के बाद अग्निशमन के आठ बड़े पानी टैंकर  लगभग शाम 7 बजे तक आग पे काबू पाने में सफल हुई। पर उसके बाद का दृश्य भी भयंकर था। चारो तरफ राख, जले हुए मलवे, रोते-बिलखते लोग और बेबसी थी। आग की कुछ ही तस्वीरे हमे प्राप्त हुई, आपको दिखाते हैं:- करजा पंचायत के प्रतापपुर में दलित बस्ती में लगी आग में लगभग 60 घर जल कर राख हो गई। राहत की खबर ये है कि जलकर किसी की मृत्यु नहीं हुई। मगर घर, समान और अनाज पूरी तरह जलकर राख हो गया।             घटना 7 अप्रैल के दोपहर की है। करजा पंचायत के प्रतापपुर ग्राम के दलित बस्ती की है। इस बस्ती के लगभग लोग मजदूर, किसान और आर्थिक रूप से कमजोर है। दोपहर के वक़्त गेहूं के फसल की कटाई चल रही है जिसके कारण लगभग घरों के लोग खेतों में गेहूं काट रहें थे। जब आग लगी तब बस्ती में वयस्क

कोरोना वाइरस(COVID-19) से जुड़ी काम की जानकारी...

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कोरोना वाइरस(COVID-19) कोरोना वायरस (COVID-19) एक संक्रामक रोग है। यह एक नए तरह के वायरस की वजह से होता है जिसे पहले कभी इंसानों में नहीं देखा गया। इस वायरस की वजह से सांस की बीमारी (जैसे कि फ़्लू) होती है। खांसी, बुखार, और ज़्यादा गंभीर मामलों में न्यूमोनिया होना इस रोग के लक्षण हैं। इस वायरस से सुरक्षित रहने के लिए, हाथों को बार-बार धोएं और अपने चेहरे को छूने से बचें। यह कैसे फैलता है यह एक नया वायरस है जो मुख्य रूप से किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके मुंह और नाक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए यह रोग दूसरों में फैलता है। संक्रमित लोगों में ये लक्षण हो सकते हैं: गले में खराश खांसी बुखार सांस लेने में दिक्कत (गंभीर मामलों में) कोरोना वाइरस की तस्वीर कोरोना वायरस (COVID-19) को रोकने या इसके उपचार के लिए कोई भी खास दवा नहीं है। हो सकता है कि लोगों को सांस लेने में होने वाली दिक्क्त से बचने के लिए, मेडिकल सहायता लेनी पड़े. खुद की देखभाल

आरक्षण का इतिहास ( History of reservation.)

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आरक्षण का इतिहास  आरक्षण की जब बात आती है तब हमें राष्ट्रपिता ज्योतिबा_फूले से इस बात को शुरू करना होगा। ब्रिटिश सरकार द्वारा हंटर कमीशन को जब भारत की शिक्षा की स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा जाता है तब हंटर_कमीशन भारत में आने के बाद ज्योतिबा फुले हंटर कमीशन को एक लिखित मेमोरेंडम पेश करते हैं ,जो शासन प्रशासन में बैठे हुए जो ब्राह्मण हैं उनसे शूद्र-अतिशूद्र लोगों को क्या परेशानी है ,इसका ब्यौरा रखते हैं। उस मेमोरेंडम में वह ब्राहम्णों के लिए कलम_कसाई यह शब्द प्रयोग करते हैं ।कुछ लोग कहते हैं कि ज्योतिबा फुले को मराठी भाषा का ठीक से ज्ञान नहीं था  एक कलम और कसाई ऐसे 2 शब्द मिलाकर एक शब्द बनाते हैं ,कलम कसाई ।कलम कसाई याने जो ब्राह्मण अपनी कलम का इस्तेमाल तलवार की तरह करते हैं । इस संदर्भ में एक बात जानना होगा कि 70 के दशक तक प्रशासन में बैठे हुए ब्राह्मण लिखते थे कि # Candidates_are_not_available , 1970 के बाद स्पर्धात्मक परीक्षा के माध्यम से जब हमारे लोग प्रशासन में आना शुरू हुए तब उन्होंने लिखना शुरु किया कि # Candidate_are_not_available_and_those_who_available_they_are_not_

शोषित समाज ( -by Er. Ritesh kumar)

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शोषित समाज 1931-32 में 'गोलमेज सम्मेलन-' के बाद जब ब्रिटिश शासकों ने समाज को सांप्रदायिक तौर पर बांटा तो, उन्होंने उस वक़्त की अछूत जातियों के लिए अलग से एक अनुसूची बनाई, जिसमें इन जातियों का नाम डाला गया। इन्हें प्रशासनिक सुविधा के लिए अनुसूचित जातियां कहा गया। आजादी के बाद के भारतीय संविधान में भी इस औपनिवेशिक व्यवस्था को बनाए रखा गया। इसके लिए संवैधानिक आदेश, 1950 जारी किया गया, जिसमें भारत के 29 राज्यों की 1108 जातियों के नाम शामिल किए गए थे लेकिन आज 6000 जातियों में बंटा इस समाज का एक वर्ग भी अपनी जातियों को भुला नहीं पाया। सवर्णों से उम्मीद रखने वाला यही अनुसूचित समाज खुद में ही रोटी बेटी का रिश्ता तो दूर अभी मानवीय भाईचारा भी बनाने में कामयाब नहीं हुआ है। आज की तारीख में एक तरफ जातिवादी और घृणित, संकुचित बहुजन या दलित से समाज के कुलीन और समृद्ध लोग दूरियां बना रहे हैं और दूसरी तरफ इसी शब्द से वही तिरस्कृत और वंचित समाज संगठित भी हो रहा है। जिससे बहुजन या दलित शब्द को मजबूती मिल रही है। बाबा साहेब की उस पंक्ति को याद रखें जहां उन्होंने कहा था कि यदि हम लोग इस ज

पेज शॉर्टकट को होम स्क्रीन पे लाए। ( Put the page shortcut on Home screen)

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'भीम क्रांति फण्ड' पेज को अपने होम स्क्रीन पे लाए। इससे आप सरल रूप से एक क्लिक में पेज पे आ जाएंगे। पेज को होम स्क्रीन पे लाने की प्रक्रिया इस प्रकार है। 1. अपने Chrome ब्राउज़र में जाए। 1. 2. Search bar में पता लिखे - bhimkrantifund.blogspot.com  तथा सर्च बटन पे क्लिक करें। 2. 3. आप पेज पे पहुँच चुके है अब ब्राउज़र के ऑप्शन बटन को क्लिक करें। 3. 4. अब मेनू के Add to Home Screen ऑप्शन को चुने। 4 5. एक pop up सामने आएगा उसमे Add बटन पे क्लिक करें। आपका पेज होम स्क्रीन पे आ चुका है। अगर फिर से एक pop up आता है तो 5. 6. उस pop up में Add के बटन को दबाएं। 6. 7. अब आपका पेज आपके इस्तेमाल के लिए तैयार है। 7. Join the page it is yours. Jay bhim.

भीम पाठशाला(एक्लव्य शिक्षित भारत मिशन) निःशुल्क शिक्षण संस्थान

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भीम आर्मी भटौना के द्वारा समय समय पे शिक्षा के छेत्र में पिछड़े बस्तियो में जाकर वंचित बच्चों को आधारभूत शिक्षा के साथ-साथ पठन-पाठन सामग्री भी मुफ्त में मुहैया कराया गया। इनमे से कई भीम पाठशाला निःशुल्क शिक्षण संस्थान अपनी अवधि समाप्त कर बंद हो चुके है तथा उन सभी बच्चों का नामांकर विद्यालयों में करवाया गया है। तथा अब उस वंचित बस्तियों के बच्चें भी शिक्षा की अहमियत से प्रेरित होकर विद्यालय जाने लगे है। आप हमें इसतरह बहुजन बच्चों को सही रास्ता दिखाने में सहयोग करने हेतु भीम क्रांति फण्ड में अपना सहयोग दे सकते है। बैंक की जानकारी प्रोफाइल फोटो में दी गई है तथा आप UPI से भी मदद कर सकते हैं। आप विभिन्न भीम पाठशाला निःशुल्क शिक्षण संस्थान के तस्वीरे नीचे देख सकते हैं। भटौना वार्ड 4 में संचालित पाठशाला का दृश्य। पाठशाला में शिक्षक और बच्चों का वातावरण। पाठशाला में 10वीं की छात्रा को बच्चों को कुछ नया बताने को आगे आना पाठशाला में रोनोजीत जॉन तथा उनके साथियों द्वारा सहयोग बच्चों को नई किताबें मुहैया कराया गया। भटौना वार्ड 3 में कम जगह में अस्मिन जी द्वारा सं