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Showing posts from March, 2020

कोरोना वाइरस(COVID-19) से जुड़ी काम की जानकारी...

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कोरोना वाइरस(COVID-19) कोरोना वायरस (COVID-19) एक संक्रामक रोग है। यह एक नए तरह के वायरस की वजह से होता है जिसे पहले कभी इंसानों में नहीं देखा गया। इस वायरस की वजह से सांस की बीमारी (जैसे कि फ़्लू) होती है। खांसी, बुखार, और ज़्यादा गंभीर मामलों में न्यूमोनिया होना इस रोग के लक्षण हैं। इस वायरस से सुरक्षित रहने के लिए, हाथों को बार-बार धोएं और अपने चेहरे को छूने से बचें। यह कैसे फैलता है यह एक नया वायरस है जो मुख्य रूप से किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उसके मुंह और नाक से गिरने वाली बूंदों के ज़रिए यह रोग दूसरों में फैलता है। संक्रमित लोगों में ये लक्षण हो सकते हैं: गले में खराश खांसी बुखार सांस लेने में दिक्कत (गंभीर मामलों में) कोरोना वाइरस की तस्वीर कोरोना वायरस (COVID-19) को रोकने या इसके उपचार के लिए कोई भी खास दवा नहीं है। हो सकता है कि लोगों को सांस लेने में होने वाली दिक्क्त से बचने के लिए, मेडिकल सहायता लेनी पड़े. खुद की देखभाल

आरक्षण का इतिहास ( History of reservation.)

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आरक्षण का इतिहास  आरक्षण की जब बात आती है तब हमें राष्ट्रपिता ज्योतिबा_फूले से इस बात को शुरू करना होगा। ब्रिटिश सरकार द्वारा हंटर कमीशन को जब भारत की शिक्षा की स्थिति का जायजा लेने के लिए भेजा जाता है तब हंटर_कमीशन भारत में आने के बाद ज्योतिबा फुले हंटर कमीशन को एक लिखित मेमोरेंडम पेश करते हैं ,जो शासन प्रशासन में बैठे हुए जो ब्राह्मण हैं उनसे शूद्र-अतिशूद्र लोगों को क्या परेशानी है ,इसका ब्यौरा रखते हैं। उस मेमोरेंडम में वह ब्राहम्णों के लिए कलम_कसाई यह शब्द प्रयोग करते हैं ।कुछ लोग कहते हैं कि ज्योतिबा फुले को मराठी भाषा का ठीक से ज्ञान नहीं था  एक कलम और कसाई ऐसे 2 शब्द मिलाकर एक शब्द बनाते हैं ,कलम कसाई ।कलम कसाई याने जो ब्राह्मण अपनी कलम का इस्तेमाल तलवार की तरह करते हैं । इस संदर्भ में एक बात जानना होगा कि 70 के दशक तक प्रशासन में बैठे हुए ब्राह्मण लिखते थे कि # Candidates_are_not_available , 1970 के बाद स्पर्धात्मक परीक्षा के माध्यम से जब हमारे लोग प्रशासन में आना शुरू हुए तब उन्होंने लिखना शुरु किया कि # Candidate_are_not_available_and_those_who_available_they_are_not_

शोषित समाज ( -by Er. Ritesh kumar)

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शोषित समाज 1931-32 में 'गोलमेज सम्मेलन-' के बाद जब ब्रिटिश शासकों ने समाज को सांप्रदायिक तौर पर बांटा तो, उन्होंने उस वक़्त की अछूत जातियों के लिए अलग से एक अनुसूची बनाई, जिसमें इन जातियों का नाम डाला गया। इन्हें प्रशासनिक सुविधा के लिए अनुसूचित जातियां कहा गया। आजादी के बाद के भारतीय संविधान में भी इस औपनिवेशिक व्यवस्था को बनाए रखा गया। इसके लिए संवैधानिक आदेश, 1950 जारी किया गया, जिसमें भारत के 29 राज्यों की 1108 जातियों के नाम शामिल किए गए थे लेकिन आज 6000 जातियों में बंटा इस समाज का एक वर्ग भी अपनी जातियों को भुला नहीं पाया। सवर्णों से उम्मीद रखने वाला यही अनुसूचित समाज खुद में ही रोटी बेटी का रिश्ता तो दूर अभी मानवीय भाईचारा भी बनाने में कामयाब नहीं हुआ है। आज की तारीख में एक तरफ जातिवादी और घृणित, संकुचित बहुजन या दलित से समाज के कुलीन और समृद्ध लोग दूरियां बना रहे हैं और दूसरी तरफ इसी शब्द से वही तिरस्कृत और वंचित समाज संगठित भी हो रहा है। जिससे बहुजन या दलित शब्द को मजबूती मिल रही है। बाबा साहेब की उस पंक्ति को याद रखें जहां उन्होंने कहा था कि यदि हम लोग इस ज

पेज शॉर्टकट को होम स्क्रीन पे लाए। ( Put the page shortcut on Home screen)

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'भीम क्रांति फण्ड' पेज को अपने होम स्क्रीन पे लाए। इससे आप सरल रूप से एक क्लिक में पेज पे आ जाएंगे। पेज को होम स्क्रीन पे लाने की प्रक्रिया इस प्रकार है। 1. अपने Chrome ब्राउज़र में जाए। 1. 2. Search bar में पता लिखे - bhimkrantifund.blogspot.com  तथा सर्च बटन पे क्लिक करें। 2. 3. आप पेज पे पहुँच चुके है अब ब्राउज़र के ऑप्शन बटन को क्लिक करें। 3. 4. अब मेनू के Add to Home Screen ऑप्शन को चुने। 4 5. एक pop up सामने आएगा उसमे Add बटन पे क्लिक करें। आपका पेज होम स्क्रीन पे आ चुका है। अगर फिर से एक pop up आता है तो 5. 6. उस pop up में Add के बटन को दबाएं। 6. 7. अब आपका पेज आपके इस्तेमाल के लिए तैयार है। 7. Join the page it is yours. Jay bhim.

भीम पाठशाला(एक्लव्य शिक्षित भारत मिशन) निःशुल्क शिक्षण संस्थान

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भीम आर्मी भटौना के द्वारा समय समय पे शिक्षा के छेत्र में पिछड़े बस्तियो में जाकर वंचित बच्चों को आधारभूत शिक्षा के साथ-साथ पठन-पाठन सामग्री भी मुफ्त में मुहैया कराया गया। इनमे से कई भीम पाठशाला निःशुल्क शिक्षण संस्थान अपनी अवधि समाप्त कर बंद हो चुके है तथा उन सभी बच्चों का नामांकर विद्यालयों में करवाया गया है। तथा अब उस वंचित बस्तियों के बच्चें भी शिक्षा की अहमियत से प्रेरित होकर विद्यालय जाने लगे है। आप हमें इसतरह बहुजन बच्चों को सही रास्ता दिखाने में सहयोग करने हेतु भीम क्रांति फण्ड में अपना सहयोग दे सकते है। बैंक की जानकारी प्रोफाइल फोटो में दी गई है तथा आप UPI से भी मदद कर सकते हैं। आप विभिन्न भीम पाठशाला निःशुल्क शिक्षण संस्थान के तस्वीरे नीचे देख सकते हैं। भटौना वार्ड 4 में संचालित पाठशाला का दृश्य। पाठशाला में शिक्षक और बच्चों का वातावरण। पाठशाला में 10वीं की छात्रा को बच्चों को कुछ नया बताने को आगे आना पाठशाला में रोनोजीत जॉन तथा उनके साथियों द्वारा सहयोग बच्चों को नई किताबें मुहैया कराया गया। भटौना वार्ड 3 में कम जगह में अस्मिन जी द्वारा सं

उद्देश्य का संछिप्त विवरण।

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  भीम क्रांति फण्ड भीम आर्मी भटौना के द्वारा विभिन्न बहुजन हित के कार्य के लिए वित्तीय मजबूती लाने के प्रयास हेतु भीम क्रांति फण्ड का निर्माण हुआ है। यह किसी प्रकार का रजिस्टर्ड NGO नहीं है। यह अम्बेडकरवादी और कार्यशील कार्यकर्ताओं का संगठन है। आप बहुजन हित में बदलाव में अपना विचार, अपना योगदान और आर्थिक सहायता देने के लिए सादर आमंत्रित है। आप हमारे साथ मिलकर भारतीय कानून के अंर्तगत शांतिपूर्ण नीति और प्रणाली से कार्य करने के लिए आमंत्रित है। हम भारतीय मूल संस्कृति, भारतीय मिट्टी, राष्ट्रीय प्रतीकों एवं राष्ट्रीय धरोहरों का सम्मान करते है तथा इसकी रक्षा करते है। हमारे लिए भारत और भारतीय संविधान मूल अवस्था में पूजनीय है। हम इससे प्रेम करते हैं। इस क्रांति के दौरान बहुजन बच्चें जो ग़रीब परिवार से आते है उन्हें शिक्षा एवं इसका महत्व प्रदान किया जाता है। गरीब बहुजनों को अधिक बीमार पड़ने पे सहायता दी जाती है। किसी बहुजन के शोषण होने के बाद उस व्यक्ति और उसके परिवार का साथ दिया जाता है। बालिका और महिलाओं को उनके अधिकार के प्रति जागरूक कराया जाता है। महिलाओं में स्किल डेवलपमेंट प्रो